कहानी ( 2 )
एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था । भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। ब्राह्मण से कहा आज मेरा
तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु लेकर आओ। ब्राह्मण बोला में सातु कहाँ से लाऊं। तो ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे
डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।
रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहाँ पर चने की दाल , घी , शक्कर लेकर सवा किलो
तोलकर सातु बना लिया और जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जग गए और चोर चोर चिल्लाने लगे।
साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया । ब्राह्मण बोला में चोर नहीं हूँ । में तो एक गरीब ब्राह्मण हूँ । मेरी पत्नी का आज तीज माता का
व्रत है इसलिए में तो सिर्फ ये सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था । साहूकार ने उसकी तलाशी ली। उसके पास सातु के अलावा कुछ
नहीं मिला।
चाँद निकल आया था ब्राह्मणी इंतजार ही कर रही थी।
साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को में अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु , गहने ,रूपये ,मेहंदी , लच्छा और बहुत
सारा धन देकर ठाठ से विदा किया।
बोलो तीज माता की जय !!!