Print
Category: गुण और फायदे
Hits: 6168
गिलोय

गिलोय जूस - गिलोय जूस के फ़ायदे व नुकसान - Giloy Juice benefits and side effects

क्या आप एक ऐसी जड़ी बूटी की खोज कर रहे हैं जो कि आपकी अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करे? तो आपके लिए गिलोय से बेहतर दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता।

शायद आपने गिलोय की बेल को देखा हैं लेकिन जानकारी न होने के कारण आप उसे पहचान नहीं पाए। गिलोय का पौधा बेल के रूप में बढ़ता हैं। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह दिखाई देते हैं। गिलोय की लताएं आम और नीम के पेड़ के आस-पास सबसे ज्यादा पाई जाती हैं। जिस पेड़ पर गिलोय का बेल चढ़ने लगता हैं, उस पेड़ के गुण भी अपने में सम्मलित लेता हैं। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी हुयी गिलोय को स्वास्थ्य के नजरिये से सबसे बढ़िया माना जाता हैं।यह आपको बहुत लाभ प्रदान कराता है और इसके कुछ लाभों को निश्चित रूप से आपको अपनी जीवन शैली में अपनाना चाहिए।

गिलोय का अंग्रेजी नाम टिनोसपोरा है जिसको गुडूची और के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह से यह ज्यादातर उष्ण कटिबंधीयक्षेत्रों में पाया जाता है जिनमे यह भारत, म्यांमार और श्री लंका में भी पाया जाता है. यह एक मेनिस्पेर्मसाए नामक परिवार से तालुक रखता है जो की एक बेल लता वाली होती है, और उनका इस्तेमाल खाने के साथ ही जडी बुटी के लिए भी किया जाता है. इसे पंजाबी में गल्लो, पाली में गलोची, बंगाली में गुलंचा, मराठी में गुडूची, नेपाल में गुर्जो के नाम से जाना जाता है

गिलोय की बेल सालों साल उगने वाली हैं। गिलोय की पत्तियों और इसके तने के रस को निकाल कर इस्तेमाल किया जाता हैं। गिलोय की तासीर गर्म मानी जाती हैं और यह तैलीय होने के साथ ही स्वाद में कड़वा और हल्की सी झंझनाहट लाने वाला होता हैं।गिलोय की पत्तियों और तने में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस, बर्बेरिन, तिक्त ग्लुकोसाइड (गिलोइन), टिनोस्पोराइड, कार्डीफोलिन, वसा अम्ल, उड़नशील तेल आदि पाए जाते हैं जो इसे गुणकारी बना देते हैं। इसमें स्टार्च भी अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं।

 

गिलोय का इतिहास

सदियों से इस पौधे का प्रयोग होते आ रहा है. गिलोय एक भारत का औषधी युक्त पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेद में कई बिमारियों के उपचार में उपयोग होता है. पुराने हिन्दू चिकित्सक ने इसे गोनोरिया के लिए, भारत में यूरोपीयन इसे टॉनिक और मूत्र वर्द्धक के रूप में इस्तेमाल करते थे. भारत के फार्माकोपिया में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता मिली हुई है, जिससे दवा का निर्माण कर विभिन्न रोगों में जैसे की सामान्य कमजोरी, बुखार, अपच, पेचिश, गोनोरिया, मूत्र रोग, हेपेटाइटिस, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज इत्यादि के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके लतिका के जड़ का उपयोग भी आंत की बीमारी में किया जाता है. आयुर्वेद में इसके अनेक नाम है, जैसे की चक्रांगी और अमृता. यह एक ऐसी बूटी है कि यह आयुर्वेदिक दवाओं का एक महत्वपूर्ण घटक इसके बिना आयुर्वेद में अभ्यास संभव नहीं हो सकता है.

वनस्पति के रूप में गिलोय का वर्गीकरण 

गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया है. इसका सेवन इतना कारगर है कि यह कैंसर को रोकने की क्षमता भी रखता है. साथ ही कुष्ठ रोग, पीलिया, स्वाइन फ्लू से भी बचाता है.

गिलोय को खाने के फ़ायदे 

गिलोय के बारे में दिल्ली के पोषण विशेषज्ञ अंशुल जैभारत कहते है कि संस्कृत में गिलोय को अमृत के रूप में जाना जाता है, जिसका उसके औषधीय गुण की वजह से अनुवाद किया गया है अमृता की जड़. अर्थात इसकी जड़ भी उपयोग किया जाता है, आयुर्वेद में इसके रस, पाउडर और कैप्सूल भी बना कर उपयोग किये जाते है. इसके और जड़ के इस्तेमाल के फ़ायदे निम्न है-

 

गिलोय के नुकसान

गिलोय बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है, इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है और यह एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते कि तरह होते हैं। यह बहुत ही गुणकारी औषधि मानी जाती है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर आसानी से मिल जाती है। इसकी पत्तियां और रस दोनों ही गुणकारी होते हैं। सामान्‍य और खतरनाक बीमारी के उपचार में इसका प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं इतने गुण होने के बाद भी कुछ बीमारियों में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस स्‍लाइडशो में हम आपको बता रहे हैं कब गिलोय का सेवन न करें।