जाट का नया-नया ब्याह होया था ।
बहू निरी अनपढ थी । गाम मैं अर रिश्तेदारी मैं दस-बारह
दिन लिकड ग्ये ।
बहू नै सारे घर का काम भी सम्भाळ लिया
एक दिन जाट सवेरे-सवेरे आपणी लुगाई तैं बोल्या - चाल, तन्नै
हनीमून पै ले चाल्लूं ।
लुगाई बोल्ली - रहण दे, भैंस की सानी भेणी सै, तेरे बापू
की रोटी करणी सै, घणे ऐं काम सैं ।
तू न्यूं कर अक दादी ने ले ज्या ।
पड़ी-पड़ी दुखी हो ज्या सै एकली । उसनै कद्दे हनीमून
देख्या भी ना होगा़
एक तोता सुबह अपने मालिक को उठाने के लिए
कहता है, "सर जागो, आपने काम पर जाना है"।
मालिक का स्थानांतरण (Transfer) हरियाणा में
हो गया फिर तोते ने कहा,
"अरे ओ खसम उठ ले इब के
गीतां आली लाऊं।.
# छोरी तू तेरे # ब्राण्डेड_कपड़ो प # गणा_घमंड
ना करे
# जितने तू #1 साल म # कपड़े लेके # आवह स
# उतने तो हम # जाडे म # सिकण्_खातिर
# फूंक_देवां सा
लुगाई-- आप घणे मोटे हो गये हो.
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रलदु-- तु भी तो कितनी मोटी हो गई हैं.
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लुगाई -- मैं तो मां बणन आली सुं
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रलदु-- मैं भी तो बाबु बणन आला सुं.
जितने का हनीसिंह की कार एक साल
में पेट्रोल पीती है ना,
उतने के हमारी भैस एक हफ्ते मे बिनौले
खा लेती है ।।।।