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ताऊ बैठा हरियाणा रोड्वेस् की बस मै सफ़र करे था. रोहतक ते जावे था हिसार. रास्ते मे फ्लाइंग आले आ टपके टिकट चेक करण.
ताऊ धोरे जा के बोल्या , ला ताऊ टिकट दिखा. ताऊ ने अपणा झोला खोल्या , लत्ता के बीच मै ते एक प्लास्टिक् की थैली काढी, ऊस्के माह् ताऊ ने रोटी बान्ध रखी थी. रोटी के बीच ताऊ ने धर राख्या धडी पक्का चूर्मा. ताऊ ने धीरे धीरे चूर्मे मे हाथ घुमा के टिकट काढि अर फ्लाइंग आले कानी बढा दी. चैकर नै टिकट का हाल देख्या, कती ए चीकणी पडी थी. छो मे आ के बोल्या , अह रे ताऊ यो भी किम्मे धरण की जगह सै? सारी टिकट भुन्डी ढाल चिकणी कर दी, इस्मे के देखू मै? ताऊ लाहप्सी सा मुह बना के बोल्या , के करू बेटा बुड्डा आदमी सू , टिकट् कद्दे खू न जा, इसे खातिर घणी सम्भाल् के धर रखी थी. चैकर बोल्या, चूर्मे ते सेफ जगह् कौणी थी? न्यू कह् के वो आगे चला गया. ऊसी ताऊ धोरे एक दूसरा ताऊ भी बैठ्या था, वा न्यू बोल्या अह रे बावलीबूच, चूर्मा भी कोई टिकट धरण् कि जगह् से ? तू भी बुढापे मै कती बावला हो गया. ताऊ शैड् देनी सी बोल्या, ”’इसा बावला भी ना सू, 2 साल ते इसी टिकट पे सफ़र कर रहया सू”

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