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Category: Latest Haryanvi SMS
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एक बार सेठ के घर इनकम टैक्स की रेड पड गई.......
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इनकम टैक्स अधिकारी -: बाकी तो सेठ
जी सब ठीक है पर आपने
कुत्तों को जलेबी खिलाने का खर्चा पांच लाख रूपये जो लिखा है उससे
हम संतुष्ट नही हैं क्या आप इसके कोई दस्तावेज पेश कर
सकते हैं.....
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सेठ जी -: नहीं, इसके दस्तावेज मेरे पास
नही हैं.....
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इनकम टैक्स अधिकारी -: चलो फिर हम बात
यही रफा दफा कर लेते हैं
इसके बदले आप हमें दस हजार रूपये दे दें।
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सेठ जी मान गए ठीक है मैं आपको दस हजार रूपये दे
देता हूं
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सेठ जी ने मुनीम को आवाज लगाई मुनीम जी इन लोगों को दस हजार रूपये दे दो और खाते में
लिख देना कुत्तों ने दस हजार रूपये की जलेबियां और खाई.

समझ आया तो ठोको लाइक


कल मैं अपणी सुसराड़ जा रया था........
मंगलवार का दिन था तो मेरा साला बोल्‍या - जीजा,
आज तो हनुमानजी का बरती होगा.......
मैने रिफल के हांमी भर ली........
सांझ ता किसी नै खाण पीण की बुझी ही
नी बरती तो सै ए.....
रात नै भूख के मारे नींद कोनी आई........
देर रात पडौसीयां के घर तै रोण की
आवाज आई........
मेरा साला बोल्‍या- बेरा
नै पडौसीयां के होग्‍या, रोण लाग्‍रें सै.......
मैं बोल्‍या- मैं बताऊ..........
साला बोल्‍या- हां जीजा तु बता दे,
तन्‍नै बेरा
है तो......
मैं बोल्‍या- कोई बरती मरग्‍या होगा
तो मेरा साला बोल्‍या - बरती भी मरया
करै सै के......
या सुणते ही मैं बोल्‍या- थोडी हाण रूक ज्‍या
मन्‍नै मरया देख लिये.


एक दिन संता का गला बैठ गया बहुत कोशिश की पर आराम नहीं मिला

रात के 2 बजे अपनी बीवी से बोला कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूँ?
बीवी बोली: इसमें शर्माने की क्या बात है, सामने ही तो डॉक्टर बंता का घर है, चले जाओ!

संता: रात के 2 बजे किसी के घर जाते हुए अच्छा नहीं लगता है!

बीवी बोली: डॉक्टर का तो फ़र्ज़ यही है वे कभी भी मरीज को देख सकते हैं, इस बात की उन्हें शपथ दिलाई जाती है!

घबराते घबराते वे सामने वाले अपार्टमेन्ट में पहुंचे दरवाजा खटखटाया अन्दर से डॉक्टर की बीवी ने पूछा कौन है?

संता (गला बैठी हुई आवाज़ में धीरे से) मैं हूँ आपका पड़ोसी, डॉक्टर साहब हैं?

अन्दर से आवाज़ आयी नहीं हैं, आ जाओ!


एक सयानी सास ने नई-नई आई बहू से पूछा –
“बहू, मान लो अगर तुम पलंग पर बैठी हो और मैं
भी उस पर आकर बैठ जाऊं तो तुम
क्या करोगी ?”
बहू – “तो मैं उठकर सोफे पर बैठ जाऊंगी.”
सास – “और अगर मैं भी आकर सोफे पर बैठ
जाऊं तो क्या करोगी ?”
बहू – “तो मैं फर्श पर चटाई बिछाकर बैठ
जाऊंगी.”
सास – “और अगर मैं भी चटाई पर आ जाऊं
तो फिर क्या करोगी ?”
बहू – “तो मैं जमीन पर बैठ जाऊंगी.”
सास मजे लेते हुए आगे बोली – “और मैं जमीन
पर भी तुम्हारे बगल में बैठ गई
तो क्या करोगी ?”

बहू (खीझ कर ) – “तो मैं जमीन में गड्ढा खोद
कर उसमें बैठ जाऊंगी.”
सास – “और अगर मैं गड्ढे में भी आकर बैठ गई
तो ?”

बहू – “तो मैं ऊपर से मिट्टी डालकर
सिलसिला खत्म कर दूँगी … !!!


एक दिन अंगरेजी आला मासटर
कोनी आया तो 7वीं कलास मैँ
अंगरेजी की घंटी मैँ PTI मासटर
की duty लाग गी।
तो पाठ मैँ एक sentence था कि
''In india more people live in the
villages than the cities.''
वो मासटर बोला कि बताओ बचचो
इसकी हिंदी कया होगी।
बालक बोले कि जी हामनै तो
ना बेरा आप ए बता दो।
तो मासटर गुससे मैँ आके बोला कि
यार मैँ कया बताऊँ sentence
को समझने की कोशिश करो
यानि कि इसका मतलब है कि
''भारत मे गाँव में मोर पीपलो पर
बैठकर सिटीयाँ बजाते हैँ।।'


रामफल की ट्राली उलट गई, उसका छोरा कुददू ट्राली न कई देर त सीधा करण खातर ज़ोर आजमाइश करण लाग रहा था
जब कई हाण होगी त धोरे आले खेत आला लीलू खाणा खाते होए बोलया " भाई आजा कई हाण होगी , तू भी कयम खा ले फेर हम भी साहरा लगवा देंगे!
ये सुणके कुददू बोलया पर मेरा बाबू नाराज हो जागा !!!
लीलू बोलया "कोई न 5 मिनट लागेंगी, आजा पहले कीमै खा ले !"
खा पी क कुददू लिल्लू त बोलया "इब त मेरा बाबू कसूता नाराज हो जागा चाल ट्राली ने सीधी करवा दे!

लिल्लू बोलया: पर तेरा बाबू स कीत?

कुददू बोलया: ट्राली के तलै !!!


फेसबुक सा फेस है तेरा, गूगल सी हैं आँखें

एंटर करके सर्च करूँ तो बस मुझको ही ताकें

रेडिफ जैसे लाल गाल तेरे हॉटमेल से होंठ

बलखा के चलती है जब तू लगे जिगर पे चोट

सुराही दार गर्दन तेरी लगती ज्यों जी-मेल

... अपने दिल के इंटरनेट पर पढ़ मेरा ई-मेल

मैंने अपने प्यार का फारम कर दिया है अपलोड

लव का माउस क्लिक कर जानम कर इसे डाउनलोड

हुआ मैं तेरे प्यार में जोगी, तू बन जा मेरी जोगिन

अपने दिल की वेबसाईट पर कर ले मुझको लोगिन

तेरे दिल की हार्डडिस्क में और कोई न आये

करे कोई कोशिश भी तो पासवर्ड इनवैलिड बतलाये

गली मोहल्ले के वायरस जो तुझ पर डोरे डालें

एन्टी वायरस सा मैं बनकर नाकाम कर दूँ सब चालें

अपने मन की मेमोरी में सेव तुझे रखूँगा

तेरी यादों की पैन ड्राइव को दिल के पास रखूँगा

तेरे रूप के मॉनिटर को बुझने कभी न दूँगा

बनके तेरा यू पी एस मैं निर्बाधित पावर दूँगा

भेज रहा हूँ तुम्हें निमंत्रण फेसबुक पर आने का

तोतों को मिलता है जहाँ मौका चोंच लड़ाने का

फेसबुक की ऑनलाईन पर बत्ती हरी जलाएंगे

फेसबुक जो हुआ फेल तो याहू पर पींग बढ़ायेंगे

एक-दूजे के दिल का डाटा आपस में शेयर करायेंगे

फिर हम दोनों दूर के पंछी एक डाल के हो जायेंगे

की-बोर्ड और उँगलियों जैसा होगा हमारा प्यार

बिन तेरे मैं बिना मेरे तू होगी बस बेकार

फिर हम आजाद पंछी शादी के सी पी यू में बन्ध जायेंगे

इस दुनिया से दूर डिजिटल की धरती पे घर बनाएँगे


राखी सावंत..ट्रेन में..
टीटी-
"टिकट...!"
राखी-
"मेरा तो चेहरा ही टिकट है"
टीटी-
"जुर्माना लगेगा...!"
राखी-
"क्यों..??"
टीटी-
"1st क्लास डिब्बे मे बैठी हो,
चेहरा 3rd क्लास वाला है...!!


मैं गया सुसराड़
नया कुर्ता गाड़
दाढ़ी बनवाई बाल रंग्वाए रेहड़ी पर ते संतरे तुलवाए
हाथ मैं दो किलो फ्रूट
मैं हो रया सुटम सूट
फागन का महिना था
आ रया पसीना था
पोहंच गया गाम मैं
मीठे मीठे घाम मैं
सुसराड़ का टोरा था
मैं अकड में होरा था
साले मिलगे घर के बाहर
बोले आ रिश्तेदार आ रिश्तेदार
बस मेरी खातिरदारी शुरू होगी
रात ने खा पीके सो गया तडके
मेरी बारी शुरू होगी
सोटे ले ले शाहले आगी
मेरे ते मिठाईया के पैसे मांगन लागी
दो दो चार चार सबने लगाये
पैसे भी दिए और सोटे भी खाए
साली भी मेरी मुह ने फेर गी
गाढ़ा रंग घोल के सर पे गेरगी
सारा टोरा हो गया था ढिल्ला ढिल्ला
गात
हो गया लिल्ला लिल्ला गिल्ला गिल्ला
रहा सहा टोरा साला ने मिटा दिया
भर के कोली नाली में लिटा दिया
साँझ ताहि देहि काली आँख लाल
होगी
बन्दर बरगी मेरी चाल होगी
बटेऊ हाडे तो नु हे सोटे खावेगा
बता फेर होली पे हाडे आवेगा?
मैं हाथ जोड़ बोल्याया गलती फेर
नहीं दोहराऊंगा
होली तो के मैं थारे दिवाली ने
भी नहीं आउंगा


लुगाई का लोग
कर्मों का भोग,
लोग की लुगाई
समझो मुसीबत आई,
पति की पत्नी
पर-कतरनी,
पत्नी का पति
मारी गई मति,
हसबैंड की वाइफ
टेंशन में लाइफ़,
वाइफ का हसबैँण्ड
बेलन से बाजे बैंड,
सजनी का साजन
बना कोपभाजन,
साजन की सजनी
मनभर वजनी,
गुलाम की जोरू
बड़ी कानफोडू,
जोरू का गुलाम
समझो काम तमाम,

दोस्तो कविता खतम हो गई
राम-राम।



मैं छात पे खड़ा था
वा भी छात पे खड़ी थी बस नुहे मेरी उसपे नजर पड़ी थी मैं उस ओड़ मुह करके खड़ा था
वा इस ओड़ मुह करके खड़ी थी पर दोनुआ के बीच में एक गड़बड़ी थी मैं अपनी छात पे खड़ा था वा अपनी छात पे खड़ी थी
ना उसने मैं दिखा,ना मन्ने उसका मुह दिखा क्युकी मैं भी रात ने खड़ा था और वा भी रात ने खड़ी थी
मैं खड़ा खड़ा नु सोचु था
वा छात पे क्यूँ खड़ी थी
छात पे खड़ी थी तो खड़ी थी
पर छात पे रात ने क्यूँ खड़ी थी
मन्ने एक काकर उठाई,उस की ओड़ बगाई वा काकर भी जाके उसके धोरे पड़ी थी वा चांदणे में आई तो उसके मुह पे नजर पड़ी थी
ओह तेरी के होगी बड़ी गड़बड़ी थी जिसने मैं नू सोचु था के वा खड़ी थी
वा तो उसकी माँ खड़ी थी
मैं छात पे ते भाग के निचे आया गली में देखा तो ताऊ भरतु हांडता पाया
जब मेरी नजर ताऊ भरतु पे पड़ी थी तो मेरे समझ में आया के गड़बड़ी थी
वा इतनी रात ने छात पे क्यूँ खड़ी थी
वा इतनी रात ने छात पे न्यू खड़ी थी


एक गाम मैं एक पटवारी चला गया , आर पहले पटवारी घणा खुला पजामा पहरया करदे ! आर पटवारी के पजामे ने देख के ने अक यो के भुत सा आ गया एक कुतिया उसके पाछे लाग ली आर पटवारी आगे आगे कुतिया पाछे पाछे !
इब इसा सूत बैठ गया के पटवारी ने रोज गाम मैं जाणा पड़ गया आर व कुतिया उसके पाछे लाग लेंदी !
एक दिन व कुतिया ट्राली के निचे सोण लागरी थे , पटवारी ने सोच्या एक मौका पड्या से लिकड़ ले ने भाज के , वो जीसा ए उस कुतिया के धोरे के भाज्या उस कुतिया ने जाग आगी
फेर वो भाज के ने एक पेड़ पे चढ़ गया आर उस कुतिया के कानी लखा क ने नु बोल्या -" अक तेरे धोरे 2 कनाल ज़मीन होंदी न तो तन्ने बताऊ अर अक पटवारी के चीज़ होया करे से"


एक बै जाट और तेली नै आहमी-साहमी (आमने-सामने) दुकान खोल ली - जाट नै गुड़ की अर तेली नै तेल की ।
एक दिन दोफाहरे ताहीं उनकी किस्सै की बिक्री ना हुई, तै दोनूंआं नै यो फैसला करया अक बारी-बारी एक दूसरे की दुकान पै जा-कै एक दूसरे की बोहणी करवा देवैंगे ।
तै पहल्यां तेली गया जाट की दुकान पै, अर बोल्या -"भाई, एक बोतल गुड़ दिये" । जाट बोल्या - "अरै बावळी-बूच, गुड़ बोतल के हिसाबतैं नहीं, किलो के हिसाब तैं मिल्या करै - जा फिर दुबारा आ ।"
तो तेली फिर आया और बोल्या - "भाई, एक किलो गुड़ दिये बोतल में" ।
जाट फिर बोल्या - "ना भाई, तेरै तै कोनी समझ आई, तू न्यूं कर अक तू बैठ मेरी दुकान पै - अर मैं गुड़ लेण आऊंगा" ।
तेली जाट की दुकान पै बैठ-ग्या अर जाट आया गाहक बन कै ।
जाट बोल्या - भाई, एक किलो गुड़ दिये ।
तेली सुनते ही बोल्या -"बोतल ल्याया सै"