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बड़ा काम छोटा काम

 

शहर की मेन मार्केट में  एक  गराज  था  जिसे  अब्दुल  नाम  का  मैकेनिक चलाता  था . वैसे  तो  अब्दुल  एक अच्छा आदमी  था  लेकिन  उसके  अन्दर  एक  कमी  थी , वो  अपने  काम  को  बड़ा  और दूसरों  के  काम  को  छोटा  समझता  था .

एक  बार  एक  हार्ट  सर्जन  अपनी  लक्ज़री कार लेकर  उसके  यहाँ  सर्विसिंग  कराने  पहुंचे . बातों -बातों  में  जब  अब्दुल  को  पता  चला  की  कस्टमर  एक  हार्ट  सर्जन  है  तो  उसने  तुरन्त  पूछा , “  डॉक्टर साहब  मैं  ये  सोच रहा  था  की  हम  दोनों  के  काम एक  जैसे  हैं… !”

“एक  जैसे  ! वो  कैसे ?” , सर्जन  ने थोडा अचरज से पूछा .

“देखिये  जनाब ,” अब्दुल कार  के कौम्प्लिकेटेड इंजन  पर  काम  करते  हुए  बोल , “ ये  इंजन  कार  का  दिल  है  , मैं  चेक  करता  हूँ  की  ये  कैसा  चल  रहा  है  , मैं  इसे  खोलता  हूँ  , इसके  वाल्वस फिट करता  हूँ , अच्छी तरह  से  सर्विसिंग  कर  के  इसकी प्रोब्लम्स ख़तम  करता  हूँ  और  फिर  वापस  जोड़  देता  हूँ …आप  भी  कुछ  ऐसा  ही  करते  हैं  ; क्यों  ?”

“हम्म ”, सर्जन  ने  हामी  भरी .

“तो  ये  बताइए  की  आपको  मुझसे  10 गुना  अधिक  पैसे  क्यों  मिलते  हैं, काम तो आप भी मेरे जैसा ही करते हैं ?”, अब्दुल  ने  खीजते  हुए पूछा .

सर्जन  ने  एक क्षण सोचा  और  मुस्कुराते  हुए बोला  , “ जो  तुम  कर  रहे  हो  उसे चालू इंजन  पे  कर के  देखो  , समझ  जाओगे .”

अब्दुल को इससे पहले किसी ने ऐसा जवाब नही दिया था, अब वह अपनी गलती समझ चुका था.

दोस्तों , हर एक  काम की  अपनी  importance होती  है , अपने  काम  को  बड़ा समझना ठीक  है  पर  दूसरों  के  काम  को  कभी  छोटा  नहीं  समझना  चाहिए  ; हम  औरों  के  काम  के  बारे  में  बस उपरी तौर पे  जानते  हैं  लेकिन  उसे  करने  में  आने  वाले  challenges के  बारे  में  हमें  कुछ  ख़ास  नहीं  पता  होता . इसलिए  किसी  के  काम  को  छोटा  नहीं  समझें  और  सभी  की  respect करें .

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