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 करवा चौथ की कहानी 

करवा चौथ का व्रत करने पर करवा चौथ की कहानी Karwa choth ki kahani  सुनी जाती है। करवा चौथ की कहानीयां कई  प्रकार की

प्रचलित है। इसमें वीरवती की कहानी मुख्य रूप से सुनी जाती है। यहाँ वीरवती की और दूसरी कही सुनी जाने वाली कहानी बताई गई है।

इनको सुनने से  व्रत का पूरा फल मिलता है। करवा चौथ के व्रत  , पूजन की विधि और चाँद को अर्क देने की विधि , व्रत कैसे खोलें आदि

पोस्ट के अंत में बताई गई है।

करवा चौथ की कहानी  Karva Chauth Ki Kahani  ( 1 )
 

वीरवती की कहानी – Veervati ki kahani

 

बहुत समय पहले की बात हैं वीरवती (Veervati ) नाम की एक राजकुमारी थी। जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी एक राजा से हुई। शादी के

बाद वह करवा चौथ का व्रत करने के लिए माँ के घर आई। वीरवती ने भोर होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत शुरू कर दिया।

 

वीरवती बहुत ही कोमल व नाजुक थी। वह व्रत की कठोरता सहन नहीं कर सकी। शाम होते होते उसे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और

वह बेहोश सी हो गई। उसके सात भाई थे और उसका बहुत ध्यान रखते थे। उन्होंने उसका व्रत तुड़वा देना ठीक समझा। उन्होंने पहाड़ी पर

आग लगाई और  उसे चाँद निकलना बता कर वीरवती का व्रत तुड़वाकर भोजन करवा दिया ।

जैसे ही वीरवती ( Veervati ) ने खाना खाया उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। उसे बड़ा दुःख हुआ और वह पति के घर जाने के

लिए रवाना हुई। रास्ते में उसे शिवजी और माता पार्वती मिले। माता ने उसे बताया कि उसने झूठा चाँद देखकर चौथ का व्रत तोड़ा है। इसी

वजह से उसके पति की मृत्यु हुई है। वीरवती अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगी। तब माता ने वरदान दिया कि उसका पति जीवित तो

हो जायेगा लेकिन पूरी तरह स्वस्थ नहीं होगा।

 

वीरवती Veervati जब अपने महल में पहुंची तो उसने देखा राजा बेहोश था और  शरीर में बहुत सारी सुइयां चुभी हुई थी। वह राजा की सेवा

में लग गई। सेवा करते हुए रोज एक एक करके सुई निकालती गई। एक वर्ष बीत गया। अब करवा चौथ के दिन बेहोश राजा के शरीर में सिर्फ

एक सुई बची थी।

 

रानी वीरवती  Rani Veervati  ने करवा चौथ का कड़ा व्रत रखा। वह अपनी पसंद का करवा लेने बाजार गई। पीछे से एक दासी ने राजा के

शरीर से आखिरी सुई निकाल दी। राजा को होश आया तो उसने दासी को ही रानी समझ लिया। जब रानी वीरवती वापस आई तो उसे दासी

बना दिया गया। तब भी रानी ने चौथ के व्रत का पालन पूरे विश्वास से किया।
एक दिन राजा किसी दूसरे राज्य जाने के लिए रवाना हो रहा था। उसने दासी वीरवती से भी पूछ लिया कि उसे कुछ मंगवाना है क्या। वीरवती

ने राजा को एक जैसी दो गुड़िया लाने के लिए कहा। राजा एक जैसी दो गुड़िया ले आया।

 

वीरवती हमेशा गीत गाने लगी

” रोली की गोली हो गई …..गोली की रोली हो गई “
 

( रानी दासी बन गई , दासी रानी बन गई )

 

राजा ने इसका मतलब पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी सुना दी । राजा समझ गया और उसे बहुत पछतावा हुआ। उसने वीरवती

veervati को वापस रानी बना लिया और उसे वही शाही मान सम्मान लौटाया।

 

माता पार्वती के आशीर्वाद से और रानी के विश्वास और भक्ति पूर्ण निष्ठा के कारण उसे अपना पति और मान सम्मान वापस मिला।

 

 

चौथ माता की जय  !!!

 

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