“यह बहुत सीखने का सवाल नहीं है …बल्कि यह बहुत कुछ भुला देने या फिर दिमाग से निकाल देने की बात है.”
-ओशो
" मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं. बुद्धिमत्ता खुद पर."
–ओशो
"अगर आप सच देखना चाहते हैं तो ना ही पक्ष में और ना ही विपक्ष में अपनी राय रखिये."
- ओशो
"आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों से प्रेम कर सकते हैं - इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे,” अब मेरे पास प्रेम नहीं बचा है”
. जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते."
-ओशो
“पेड़ों को देखो, पक्षियों को देखो, बादलों में देखो, सितारों को देखो … और अगर आपके पास आँखें है तो आप यह देखने में सक्षम होगे की पूरा अस्तित्व खुश है सब कुछ बस
खुश है पेड़ बिना किसी कारण के खुश हैं ; वे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने नहीं जा रहे हैं और वे अमीर बनने भी जा रहे हैं और ना ही कभी उनके पास बैंक बैलेंस होगा .. फूलों
को देखिये ,- बिना किसी कारण के कितने खुश और अविश्वसनीय है ..”
–ओशो
"जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक विनोदप्रियता है. जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना."
–ओशो
”दिल भूत और भविष्य के बारे में कुछ नहीं जानता है, यह सिर्फ वर्तमान के बारे ही जानता है. दिल के लिए समय जैसा कुछ भी नहीं है….”
–ओशो
उस रास्ते पर मत चलो जिसपर डर तुम्हे ले जाये ,
बल्कि उस रास्ते पर चलो जिसपर प्रेम ले जाये,
उस रास्ते पर चलो जिसपर ख़ुशी तुम्हे ले जाये.
-ओशो
यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है. हर कोई अपनी तकदीर सवारने और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है.
-ओशो
"मित्रता शुद्धतम प्रेम है. ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता , कोई शर्त नहीं होती , जहां बस देने में आनंद आता है."
-ओशो
"कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है, क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है."
-ओशो
"जेन एकमात्र धर्म है जो एकाएक आत्मज्ञान सीखता है. इसका कहना है कि आत्मज्ञान में समय नह लगता, ये बस कुछ ही क्षणों में हो सकता है."
-ओशो
"अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए. जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि सही मायने में यही जीवन है."
-ओशो
"जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब कोई आश्चर्य नहीं होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज. अब आप एक
मृतक का जीवन जियेंगे."
-ओशो
"कोई चुनाव मत करिए. जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है."
-ओशो
"यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं. ध्यान दर्पण में देखने की कला है. और अब, आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता
नहीं होती."
-ओशो
"अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं . और चूँकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं , इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं."
-ओशो
"जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है."
-ओशो
”यीशु या बुद्ध या एक बोधिधर्म के पूरे प्रयास कुछ भी नहीं है परन्तु उसको केसे मिटा दे जो समाज ने आपके लिए किया है ”
-ओशो
"आप वही बन जाते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं।"
-ओशो
"जब मैं कहता हूँ कि आपलोग देवी-देवता हैं तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है , आपकी क्षमताएं अनंत हैं."
-ओशो
"किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है. आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं. खुद को स्वीकारिये."
-ओशो
आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सबकुछ है, यही बिलकुल सही है , बस यही है. आत्मज्ञान कोई उप्लाब्धि नही है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है.
-ओशो
"जेन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं. ये अथाह प्रेम कि वजह से है; इसलिए उनमे डर नहीं है."
-ओशो
केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं.
-ओशो
"प्रसन्नता सद्भाव की छाया है; वो सद्भाव का अनुशरण करती है. प्रसन्न रहने का और कोई तरीका नहीं है."
-ओशो
" जीवन ठेहराव और गति के बीच का संतुलन है."
-ओशो